इटावा। चंबल बैली में चिलचिलाती धूप व भीषण गर्मी से पशु-पक्षी भी बेहाल हैं। तालाब और पोखरों के सूख जाने से बेजुबान प्यास से छटपटा रहे हैं। तहसील क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में तमाम तालाब सूखे हैं। लाखों रुपये खर्च कर विकसित किए गए मॉडल तालाब अपनी रंगत खो रहे हैं। आलम यह है कि ज्यादातर तालाबों में धूल उड़ रही है। गर्मी में पानी-पीने के लिए पशु-पक्षियों को भी भटकना पड़ रहा है। जिले का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा है।जबकि मॉडल तालाबों के साथ-साथ गांवों में मवेशियों व पशु-पक्षियों को पानी पीने के लिए लाखों रुपये लगाकर मनरेगा के तहत तालाब खोदे जाते हैं। लेकिन वर्तमान समय मे तालाबों में पानी नहीं है।
आदर्श तालाब के चारों और रेलिंग बनाकर उसमें खूबसूरत फूलों के पौधे लगाकर ग्रामीणों के लिए मनोरम स्थल का निर्माण करना भी था। लेकिन बहुत कम ही ऐसे तालाब है। जिन्हें मानक के अनुसार विकसित किया गया ह़ो। इन तालाबों में केवल बरसात के मौसम में ही पानी दिखाई देता है। बाकी दिन सूखे ही रहते हैं। ऐसे में तालाबों के इर्द-गिर्द खूबसूरत वातावरण मिल पाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती।उप जिलाधिकारी चकरनगर मलखान सिंह ने दूरभाष पर संवाददाता को बताया कि भीषण गर्मी के चलते तालाबों के सूखने की सूचना मिली है। हालांकि तालाबों के रखरखाव उनके सुंदरीकरण जलभराव व अन्य सृजन हेतु सारे कार्य विकास योजना के तहत विकास विभाग देखता है। हमारे संज्ञान में यह मामला आ चुका है मैं अपने स्तर से कार्यवाही कर रहा हूं। ग्रामीणों ने तहसील प्रशासन वा जिला प्रशासन से मांग की है की भीषण गर्मी और पानी की किल्लत को मद्देनजर रखते हुए यथाशीघ्र ग्राम पंचायतों के माध्यम से तालाबों में पानी भरवा दिया जाए ताकि पशु पक्षियों के लिए पानी की समस्या न रहे।