किशनी/मैनपुरी। सिंचाई विभाग द्वारा माइनरों तथा रजबहों की सिल्ट सफाई के दौरान किये गये भृष्टाचार की कीमत आज क्षेत्र के किसानों को उठानी पड रही है।
किसानों को नदियों का पानी उसके खेत तक पहुचाने के लिये सरकार प्रयास करती है। सरकार द्वारा प्रति सिंचाई बिभाग को मोटा फण्ड उपलब्ध कराया जाता है। पर विभाग में बैठे भृष्ट अधिकारियों की मिलीभगत के कारण अधिकांश सफाई कागजों में ही हो जाती है। जिसका खामियाजा किसानों को बाढ तथा सूखे के तौर पर भुगतना पडता है। गौरतलब है कि क्षेत्र में नगला सारंग से निकलकर भिटारा, सतियाहार, फरैंजी, नगला अखे तथा हिम्मतपुर होते हुये एक बरसाती नाला बसैत के ताल में गिरता है। कई वर्षों से किसान इस लाले की सफाई के लिये एसडीएम किशनी से मांग करते रहे हैं। इस समस्या को लेकर भारतीय किसान यूनियन (किसान) ने कई बार ज्ञापन देकर सफाई की मांग की। जिसके बाद बिभाग के एसडीओ डीपी मित्तल ने सिर्फ आश्वासन दिया पर सफाई नहीं कराई। अब किसानों ने खेतों में धान की फसल की रोपाई कर दी है। नाले की सिल्ट सफाई न होने के कारण पानी आगे जा ही नहीं पा रहा है। इस कारण उपरोक्त पांचों गांवों के किसानों की धान की फसल पानी में डूब कर बरबाद हो गई है। अब किसान परेशान है। पर उनकी सुनने बाला कोई नहीं है। उक्त गांवों के किसानों ने जिनमें नन्दूकश्यप, रामानन्द, विश्रामसिंह, सुघरसिंह, कमलेश, सर्वेश चतुर्वेदी, केसराम, मुलायमसिंह, शिवराज सिंह, अशोक कुमार, पिंकल यादव, नीरज यादव, रमन यादव, इस्नोद कुमार, उपदेश यादव, जयवीर सिंह, सुभाष यादव, रामदुलारे आदि ने जिलाधिकारी से नाला सफाई तथा मुआबजे की मांग की है।
