अलीगढ़। परिवहन महकमे में इन दिनों अमले की कमी नहीं। बावजूद इसके आंख मूंदकर बसों का फिटनेस जारी किया जा रहा। बसस्टैंड से रवाना होने वाली एक दर्जन से ज्यादा बसें ऐसी हैं जिन्हें अगर जांच लिया जाए तो देखते ही जिम्मेदार अधिकारी उसका परमिट और फिटनेस रद्द कर दें पर यहां वाहनों को जांचने की फुर्सत किसी को नहीं। कंडम बसों को भी फिटनेस और परमिट जारी कर दिया जाता है। जब हादसे होते हैं तब अफसर तेजी दिखाते हैं और बाकी समय लोगों की जान से खिलवाड़ आम बात हो चली है।
बसों में बैक लाइट तक नहीं
रोडवेेज स्टैण्ड में खड़ी कई ऐसी बसें देखीं गई जिसमें बैक लाइट तक नहीं है। जबकि जानकार बताते हैं कि फिटनेस जारी करते समय यह जांचा जाता है कि बसों की फ्रंट, बैंक लाइट सही है या नहीं। बस का मॉडल क्या है। अगर बस 15 साल से ज्यादा पुरानी है तो उसे फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता। इन्हीं जानकारों का कहना है कि बसों को बिना जांचे ही परिवहन अधिकारी फिटनेस और परमिट जारी कर देते हैं। इस तरह की बसों का फिटनेस जारी कराने परिवहन विभाग में दलालों की भीड़ लगी है जो अधिकारियों को धोखे में रखकर फिटनेस खत्म होने की तारीख से पहले ही रिन्यूवल करा देते हैं।
बस स्टैंड से बनाई दूरी
परिवहन अधिकारी जिले में घूमकर वाहनों पर कार्रवाई तो करते हैं लेकिन बसस् टैंड में खड़ी बसों को जांचने में पीछे रह गए। आते-जाते सड़कों पर नजर आने वाली बसों पर भी शायद उन्होंने भी ठीक से गौर नहीं किया। यही वजह है कि कंडम बसें धड़ल्ले से सड़कों पर दौड़ रही हैं। बस स्टैंड में जांच हो तो ऐसे वाहनों पर कार्रवाई कर व्यवस्था में सुधार लाया जा सकता है।
बड़े हादसे का इंतजार
कंडम बसों को परमिट फिटनेस जारी करने वाला परिवहन महकमा फिर किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है। बीते महीनों में हुई सड़क दुर्घटनाओं पर गौर करें तो क्षतिग्रस्त होने वाले अधिकांश वाहन परिवहन नियमों का पालन करने में सक्षम साबित नहीं हुए थे।