जनपद में धूमधाम से मनाया गया रक्षाबंधन
मैनपुरी। जनपद में रक्षाबंधन का पर्व दूसरे दिन शुक्रवार को भी मनाया गया। सुबह होते ही बहनों ने भाइयों की कलाई पर रक्षा का सूत्र बांधा। घरों में भुजरियों को पूजन के बाद नदी, रजवाह, पोखर में सिराने के लिए ले जाया गया। महिलाएं, युवतियां भुजरियों को हाथों में लेकर सावन के गीत गाती हुईं सिराने के लिए पहुंची। उधर सड़को पर वाहनों का दूसरे दिन भी टोटा बना रहा। रोडवेज में महिलाओं का निशुल्क सफर मुश्किल भरा बना। कई स्थानों पर बसें नहीं रोकने का आरोप लगाया गया।
जनपद में इस वर्ष दो दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया। शुक्रवार को दूसरे दिन भी पूरे जनपद में उत्सव जैसा माहौल दिखा। शहर, कस्बा और ग्रामीण इलाकों में सुबह के समय सबसे अधिक पर्व मनाया गया। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार भद्रा के चलते सुबह 7 बजकर 25 मिनट तक राखी बांधना शुभ बताया गया था। जिसके चलते बहन और भाइयों में सुबह से ही उत्साह नजर आया। बहनों ने भाईयों का तिलक किया और कलाई पर राखी बांधकर दीर्घायु की कामना की। हालांकि शुक्रवार को गुरुवार की अपेक्षा मिष्ठान की दुकानों पर भीड़ कम दिखी। बाजार में भी भीड़ कम रही।
रोडवेज बसों में मुश्किल बनी रही निशुल्क यात्रा
रक्षाबंधन का पर्व दो दिन होने के चलते सरकार ने भी रोडवेज बसों में दो दिन महिलाओं के लिए सफर निशुल्क का ऐलान किया था। जहां तक जनपद में निशुल्क सफर की बात हो तो मिलाजुला असर बना रहा। कई बहनों को तो निशुल्क यात्रा का लाभ मिल गया और कई बहनें बसों का इंतजार करती रहीं। ऐसा नहीं है कि बसें चली न हों। चालकों द्वारा बसों को रोका नहीं गया। जिससे महिलाओं को परेशानी हुई। सबसे अधिक बेवर बस स्टैंड पर महिलाओं को मुश्किलें हुईं।
जिला कारागार में भी नजर आई रौनक
रक्षाबंधन के त्योहार पर इस बार जिला जेल में भी रौनक नजर आई। बहनों के लिए भाईयों से मुलाकात के विशेष इंतजाम किए गए। जेल के अंदर और बाहर टेंट लगाया गया। लाल कारपेट बिछाया गया। जेल के अंदर बहनों ने भाईयों की कलाईयों पर राखी बांधी तो बहनों और भाईयों के गले रुंध गए। जेल प्रशासन की ओर से इस बार बहनों के लिए बूंदी, समोसा और चाय का इंतजाम किया गया। बहनों के बैठने के लिए टेंट में कुर्सियां लगवाई गईं। इस बार के इंतजामों को बहनों ने सराहा और जेल प्रशासन का आभार जताया। जेल अधीक्षक कोमल मंगलानी के निर्देशन में पहले 11 अगस्त को और फिर 12 अगस्त को जेल में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया गया। शुक्रवार को त्योहार के दूसरे दिन जेल के बाहर सुबह 7 बजे से ही बहनों का प्रवेश शुरू करा दिया गया। जो बहनें जेल के बाहर पहुंच रही थीं, उन्हें जेल प्रशासन की ओर से बूंदी, समोसा और चाय दी जा रही थी। उन्हें अहसास कराया जा रहा था कि वे कारागार में नहीं बल्कि घर जैसे माहौल में आई हैं। जेल में 1240 पुरुष बंदियों को राखियां बांधी गईं। इसके लिए कोई कसर नहीं छोड़ी गई।