ब्यूरो रिपोर्ट आगरा
आगरा ! शहर की सड़को पर सरपट दौड़ रही बसें खतरे का सामान ढो रही हैं। अनेक बस चालकों द्वारा अपने स्वार्थ के लिए यात्रियों की जान को जोखिम में डाला जा रहा है। बात की जाए आगरा की तो आगरा में दो दर्जन से अधिक ट्रेवल्स एजेंसी है! जो चंद पैसों के लिए अनजान लोगों से पत्र-पैकेट अथवा पार्सल लेकर दूसरे हाथों में पहुंचाने का जोखिम भरा कार्य को अंजाम दिए जा रहा है।
असामाजिक तत्वों को बस चालकों द्वारा प्रदान की जा रही इस सेवा के दुरुपयोग होना खतरनाक साबित हो सकता है। सुरक्षा के दृष्टिगत बगैर मालिक के सामान की डिलीवरी बसों में नहीं की जा सकती है। बसें यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाने का ही कार्य करती हैं। लेकिन यह ट्रेवल्स एजेंसी वाले चंद रुपयों के लालच में माल ढोने का कार्य कर रहे है जबकि माल ढोने का कार्य ट्रक अथवा कैंटर के द्वारा ही किया जा सकता है। साथ ही बगैर मालिक के बस में सामान मिलने पर उसे चालक-परिचालक द्वारा पुलिस को सुपुर्द कर दिया जाता है। संदिग्ध वस्तु के बम होने की आशंका के दृष्टिगत यात्रियों द्वारा बस में अपना सूटकेस, टिफिन व अन्य सामान भूल जाने की स्थिति में भी हंगामा खड़ा हो जाता है।
मगर प्राइवेट बसों के चालक चंद पैसों के मोह में अनजान लोगों से पैकेट-पार्सल हासिल कर लेते हैं। गंतव्य पर पहुंचने के बाद चालकों द्वारा सामान हासिल करने वाले से इसकी एवज में मनमर्जी के पैसे वसूल किए जाते हैं। यही क्रम आगरा के रकाबगंज थाना क्षेत्र ने संचालित दर्जन भर से अधिक ट्रेवल्स एजेंसी संचालको द्वारा किया जा रहा है ! वही इस कार्य में चालकों द्वारा यह परवाह तक नहीं की जाती कि आखिर पैकेट में क्या है? पैकेट देने वाला कौन है? और उसे हासिल करने वाला कौन है? पैकेट में कहीं ज्वलनशील पदार्थ, आग्नेय शस्त्र अथवा मादक पदार्थ तो नहीं है? बावजूद इसके चालक ऐसे सामान को बड़े सहेज कर और रोडवेज की फ्लाइंग टीम को चकमा देकर भी गंतव्य तक पहुंचाते हैं !
ट्रेवल्स बस एजेंसियों से अवैध रूप से पैकेट और पार्सल पहुंचाने का यह अवैध धंधा बेरोक टोक जारी है। हालांकि कभी-कभार ऐसे चालकों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी की जाती है, मगर यह सिलसिला बरकरार है।