मोर्निंग सिटी संवाददाता
आगरा ! जैसे ही पूरे उत्तर भारत में तापमान गिरना शुरू होता है, सांप जैसे एक्सोथर्मिक जानवर बदलते मौसम और सर्दियों के प्रति अपने आप को अनुकूल बनाने की तैयारी शुरू कर देते हैं। सर्दियों में, सांप जैसे जानवर ‘ब्रूमेशन’ नामक अवस्था में चले जाते हैं, जिसमें उनके शरीर का तापमान गिर जाता है, उनका पाचन तंत्र धीमा हो जाता है और वे कम सक्रिय हो जाते हैं। एक्टोथर्मिक जानवर थर्मोरेग्यूलेशन में सक्षम नहीं होते, मतलब अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए उन्हें बाहरी स्त्रोत्र की ज़रुरत होती है। सरीसृपों का एक विशेष समूह जो थर्मोरेग्यूलेशन में सक्षम नहीं है, वे हैं सांप। सांपों का आंतरिक तापमान उनके शरीर के तापमान को विनियमित करने में बहुत कम भूमिका निभाता हैं, इसलिए वे अपने शरीर को गर्म रखने के लिए बाहरी वातावरण पर निर्भर रहते हैं। सर्दियों में, सांपों की जीवित रहने की एक अलग रणनीति होती है। वे ‘ब्रूमेशन’ नामक प्रक्रिया से ज़रिये जीवित रहते हैं। ब्रूमेशन में सांप न तो पूरी तरह से सक्रिय होते हैं और न ही सोते हैं। यह आंशिक गतिविधि की अवधि है जिसमे उनकी चयापचय दर बहुत धीमी हो जाती है। वे भोजन और डिहाइड्रेशन से बचने के लिए कभी-कभी इस अवस्था से बाहर आते हैं। शहरी स्थानों में, सांपों को इमारतों के बेसमेंट, घरों के स्टोर रूम, गैरेज और यहां तक कि कार के इंजन में आराम करते देखा जा सकता है! वाइल्ड लाइफ एस.ओ.एस के डायरेक्टर कंजर्वेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी, बताते हैं की, “ठंड के मौसम में सांप धूप की गर्मी लेने के लिए अपने बिलों से बाहर आते हैं, क्योंकि इन एक्सोथर्मिक जानवरों के लिए धूप ही बाहरी गर्मी का एकमात्र स्रोत है। वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के सह-संस्थापक और सी.ई.ओ, कार्तिक सत्यनारायण, ने कहा, भले ही सांप सर्दियों के मौसम में ब्रूमेशन की प्रक्रिया में होते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि हमारी हेल्पलाइन पर इनसे सम्बंधित कॉल्स नहीं आती। हम सर्दियों के महीनों में भी साँपों से जुड़ी रेस्क्यू कॉल्स का जवाब देते हैं और सांप को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं।”