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शहर और राज्य राजनीति

वैश्विक उथल-पुथल के बीच भारत कैसे बने आत्मनिर्भर, समृद्ध और महान- स्वदेशी जागरण मंच,रायपुर

by morning on | 2025-03-09 13:12:53 Last Updated by morning on2025-07-17 15:34:47

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वैश्विक उथल-पुथल के बीच भारत कैसे बने आत्मनिर्भर, समृद्ध और महान- स्वदेशी जागरण मंच,रायपुर

स्वदेशी जागरण मंच और स्वावलंबी भारत अभियान की दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक 9 और 10 मार्च को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में होगी, जहाँ राष्ट्रीय और राज्य स्तर के पदाधिकारी विचार-विमर्श करेंगे। यह महत्वपूर्ण बैठक अग्रसेन धाम में आयोजित की जा रही है।

अपनी स्थापना के समय से ही स्वदेशी जागरण मंच, हमारे सार्वजनिक स्वास्थ्य, किसानों, उद्योग और आम आदमी पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले असमान विश्व व्यापार संगठन समझौतों के खिलाफ लड़ रहा है। पिछले 8 वर्षों से, जब से डोनाल्ड ट्रंप ने पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभाला है, वैश्विक व्यापार के संचालन के लिए एक प्रमुख साधन के रूप में विश्व व्यापार संगठन अपनी चमक खोता जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही जो फैसले लिए हैं, उनसे विश्व व्यापार संगठन के पतन की गति और तेज हो गई है। पूरी दुनिया में विश्व व्यापार संगठन के भविष्य को लेकर चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि जो लोग विश्व व्यापार संगठन को मानव कल्याण, विकास और सहज विश्व व्यापार का प्रतीक मानते थे, वे अब इस बात पर बहस कर रहे हैं कि विश्व व्यापार संगठन का अंत कब तक होगा। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में कहा गया है कि दुनिया भर में नीति निर्माण का फोकस वैश्विक स्तर पर अंदर की ओर स्थानांतरित हो गया है। अब खुले व्यापार, पूंजी और प्रौद्योगिकी के मुक्त प्रवाह और खेल के नियमों की पवित्रता के साथ वैश्वीकृत दुनिया के लाभों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। भू-आर्थिक विखंडन और वैश्वीकरण के निहित उलटफेर की कहानी पिछले कुछ वर्षों से दिखाई दे रही है। स्वदेशी जागरण मंच का का यह विचार कि द्विपक्षीय व्यापार समझौते बहुपक्षीय समझौतों से बेहतर हैं, अब वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय हो रहा है।

अब, जब डोनाल्ड ट्रम्प के बाद टैरिफ में एकतरफा वृद्धि की नीति, जिसे अमेरिका पारस्परिक टैरिफ कहता है, ने विश्व व्यापार संगठन के मूल आधार पर हमला बोल दिया है, स्वदेशी जागरण मंच का रुख सही साबित हुआ है। इस समय, इस राष्ट्रीय परिषद को इन मुद्दों पर विचार-विमर्श करना चाहिए, ताकि सामान्य रूप से समाज और विशेष रूप से नीति निर्माताओं के लिए भविष्य की कार्रवाई की जा सके।

राज्य, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर स्वावलंबी भारत अभियान की गतिविधियों की प्रगति रिपोर्ट भी राष्ट्रीय परिषद की बैठक में प्रस्तुत की जाएगी।

पिछले चार वर्षों से चल रहे स्वावलंबी भारत अभियान के तहत 32 से अधिक संगठन युवाओं को ‘नौकरी मांगने वाले से नौकरी देने वाले’ बनने के लिए प्रेरित करने का काम कर रहे हैं। इस अभियान के तहत देश के 500 से अधिक जिलों में बड़े पैमाने पर काम किया जा रहा है।

स्वदेशी उद्योग, कुटीर उद्योग और लघु उद्योगों को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है। आत्मनिर्भरता के मुख्य साधन के रूप में उद्यमिता, स्टार्टअप, स्थानीय उत्पादन, कृषि आधारित उद्योग और हस्तशिल्प को बढ़ावा दिया जा रहा है। युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत के रूप में सफल उद्यमियों की सफलता की कहानियों को लोकप्रिय बनाने तथा उन्हें सम्मानित करने के लिए जिला एवं राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। स्वदेशी मॉडल पर राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को कैसे मजबूत किया जाए, स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नीति निर्माण, युवाओं को स्टार्टअप एवं उद्यमिता की ओर प्रेरित करने के लिए नए कार्यक्रमों की रूपरेखा, स्वदेशी व्यापार, उद्योग एवं कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए नवाचार, डिजिटल युग में स्वदेशी तकनीक का विकास कैसे किया जाए आदि विषयों पर राष्ट्रीय परिषद में विचार-विमर्श किया जाएगा। बदलते भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के अनुसार भारत का स्वदेशी मॉडल क्या हो, इस पर भी गंभीरता से विचार किया जाएगा।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंच के अखिल भारतीय सहसंयोजक डॉ अश्विनी महाजन, डॉ धनपत अग्रवाल, स्वावलंबी भारत अभियान की अखिल भारतीय सह समन्वयक अर्चना मीणा एवं मंच के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ धर्मेंद्र दुबे ने संबोधित किया। संचालन मंच के छत्तीसगढ़ प्रांत संयोजक जगदीश पटेल ने किया।

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