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आगरा-खतरनाक पोइया घाट रोड ने ली छात्रा की जान, सिद्धि की मौत ने खोली सिस्टम की पोल

by morning on | 2025-06-02 15:54:39

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आगरा-खतरनाक पोइया घाट रोड ने ली छात्रा की जान, सिद्धि की मौत ने खोली सिस्टम की पोल

Morning City

सड़क नहीं मौत का जाल बनी पोइया घाट रोड, अधूरी खुदाई ने ली छात्रा की जान

सिद्धि की मौत ने खोल दी सिस्टम की नींद, पीडब्ल्यूडी की लापरवाही पर उठे सवाल

अगर सड़क दुरुस्त होती, तो आज जिंदा होती सिद्धि – गड्ढों में दबी जिम्मेदारी

आगरा- की पोइया घाट रोड पर शुक्रवार की रात हुआ हादसा एक छात्रा की दर्दनाक मौत से कहीं अधिक है। यह उस सरकारी लापरवाही का जीता-जागता प्रमाण है, जो शहर की सड़कों को कब्रगाह में बदल रही है। गंगेगौरी बाग, बल्केश्वर निवासी कोल्ड स्टोरेज संचालक दिलीप अग्रवाल की 16 वर्षीय बेटी सिद्धि अग्रवाल की जान उस अधूरी सड़क ने ले ली, जिसे महीनों पहले लोक निर्माण विभाग ने चौड़ा करने के नाम पर खोद डाला था और तब से वह वैसी की वैसी पड़ी है। सिद्धि शुक्रवार रात अपनी छोटी बहन के साथ स्कूटी से घर लौट रही थी। श्रीराम फार्म हाउस के पास जब सामने से ट्रैक्टर आया, तो सिद्धि ने स्कूटी किनारे की, लेकिन अंधेरे में उसे गड्ढे की गहराई का अंदाज़ा नहीं हो पाया। स्कूटी अनियंत्रित हो गई और दोनों बहनें नीचे गिर पड़ीं। तभी ट्रैक्टर-ट्रॉली का एक पहिया सिद्धि के सिर के ऊपर से निकल गया। घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई। उसकी छोटी बहन स्तब्ध रह गई। आंखों के सामने अपनी बहन को यूं जाते देख वह रो भी नहीं पाई। राहगीरों की मदद से पुलिस को सूचना दी गई, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

जिस जगह यह हादसा हुआ, वहां लोक निर्माण विभाग ने करीब 8 से 10 इंच की गहराई तक खुदाई कर रखी है, जो सड़क के दोनों ओर फैली है। खुदाई के बाद वहां न तो समतलीकरण किया गया, न ही किनारे की सुरक्षा के कोई इंतज़ाम किए गए। हादसे के प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अगर सड़क सही होती, तो यह जान बच सकती थी। ट्रैक्टर की हेडलाइट में तेज़ रोशनी और खुदाई के बीच संतुलन बनाए रखना असंभव हो गया, और सिद्धि स्कूटी सहित सड़क के नीचे जा गिरी।

सवाल यह है कि इस व्यस्त मार्ग की खुदाई को अधूरा क्यों छोड़ दिया गया? क्या ठेकेदार को बिना समयबद्धता के काम करने की खुली छूट दी गई है? क्या पीडब्ल्यूडी और प्रशासन ने इस जानलेवा हालात को नहीं देखा? पोइया घाट मार्ग कोई सुनसान गली नहीं, बल्कि शहर के घने आबादी वाले इलाकों जैसे दयालबाग, बल्केश्वर और कमला नगर को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग है। इस पर दिन-रात सैकड़ों वाहन चलते हैं। ऐसे में महीनों तक सड़क का अधूरा पड़ा रहना प्रशासनिक लापरवाही नहीं तो और क्या है? 

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहली मौत नहीं है। इस सड़क पर पहले भी कई हादसे हो चुके हैं, लेकिन कभी किसी जिम्मेदार के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। अब जब एक होनहार छात्रा की जान गई है, तो शहरवासी पूछ रहे हैं क्या इस बार भी प्रशासन आंख मूंदे रहेगा? क्या लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं और संबंधित ठेकेदार पर कोई कार्रवाई होगी? क्या यह हादसा भी ‘फाइलों’ तक ही सीमित रह जाएगा?

सिद्धि की मौत के बाद लोगों की नाराजगी चरम पर है। उन्होंने मांग की है कि दोषियों के खिलाफ हत्या के प्रयास जैसी धाराओं में मामला दर्ज किया जाए और इस सड़क की मरम्मत कार्य को तुरंत प्राथमिकता दी जाए। आने वाला मानसून एक और बहाना न बन जाए, इससे पहले प्रशासन को चेत जाना होगा, वरना अगली मौत किसकी होगी — यह कोई नहीं जानता।

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