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मैनपुरी-आपराधिक मुकदमा दर्ज होने के बाद भी आवंटित हो गई शराब की दुकान

by morning on | 2025-06-10 16:56:40

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मैनपुरी-आपराधिक मुकदमा दर्ज होने के बाद भी आवंटित हो गई शराब की दुकान

फोटो परिचय- सांकेतिक तस्वीर


- आबकारी विभाग को जानकारी होने के बाद भी संचालित हो रहीं कंपोजिट दुकान

Morning City

मैनपुरी। आबकारी विभाग ने थाने में आपराधिक मुकदमा दर्ज होने के बाद भी विदेशी मदिरा और बीयर की कंपोजिट दुकान आवंटित कर दी गई है। जब थाने में आपराधिक मुकदमा दर्ज था तो विदेशी मदिरा की दुकान के लाइसेंस को निरस्त कर देना चाहिए था, लेकिन आबकारी विभाग से तालमेल के चलते पड़रिया चौराहे पर आपराधिक प्रवृत्ति के नाम पर शराब की दुकान संचालित हो रहीं है। जब कि जिस क्षेत्र में दुकान संचालित हो रहीं है थाने में मुकदमा दर्ज कराने वाले आबकारी निरीक्षक भी अभी वहीं पर तैनात है, जिन्हे पूरे मामले की जानकारी है क्यो कि थाने में मुकदमा भी उन्होने ही दर्ज कराया है।
ज्ञात हो कि बर्ष 2023-2024 में औंछा क्षेत्र के पड़रिया चौराहे पर रामप्यारी पत्नी अभिलाख सिंह के नाम पर देशी मदिरा की संचलित की जा रहीं थी, तीन अप्रेल 2024 को आबकारी निरीक्षक सिद्धार्थ विक्रम सिंह ने दुकान पर छापा मारा था, दुकान पर सेल्समैन किसी अन्य शराब ठेका की शराब की बिक्री करते पाया गया था, जो कि एक अपराध की श्रेणी में आता है। छापा मारने के बाद आबकारी इंस्पेक्टर ने शराब दुकान की अनुज्ञापी रामप्यारी और उनके पति अभिलाख सिंह व सेल्समैन कुंवरपाल के विरुद्ध आईपीसी की धारा 419/420/120बी में मुकदमा दर्ज कराया था, थाने में मुकदमा दर्ज होने के बाद रामप्यारी के नाम से संचालित शराब की दुकान का लाइसेंस भी निरस्त हो गया था। उसके बाद दुकान का संचालन डेलीवेस पर कराया गया था।

रामप्यारी के नाम फिर आवंटित कर दी गई शराब की दुकान
थाने में आपराधिक मुकदमा दर्ज होने के बाद भी रामप्यारी के नाम 2025 में फिर से पड़रिया चौराहे पर विदेशी मदिरा और बीयर की कंपाजिट दुकान अवंटित कर दी गई, हालांकि इस बार ईलॉटरी का सिस्टम था अगर अनुज्ञापी ने ईलॉटरी के जरिए शराब की दुकान हासिल कर ली तांे दो माह से ज्यादा समय बीतने के बाद भी अभी आबकारी विभाग द्वारा लाइसेंस निरस्त क्यों नहीं किया गया। अगर ईलॉटरी के जरिए शराब की दुकान अवंटित हो गई तो उसके बाद उन्होने कोई भी मुकदमा दर्ज होने का शपथ पत्र कहां से दाखिल कर दिया।

आपराधिक बैकग्राउंड वाले के नाम जारी नहीं होते शराब दुकान के लाइसेंस
आबकारी विभाग के नियम के अनुसार किसी अपराधी अथवा आपराधिक पृष्ठभूमि वाले शख्स के नाम फुटकर शराब दुकान का लाइसेंस जारी नहीं किया जा सकता। दुकान आवंटित होने के बाद संबंधित अनुज्ञापी को इस बात का शपथ पत्र भी प्रस्तुत करना होता है कि उसके खिलाफ किसी तरह का मुकदमा दर्ज नहीं है। धीरे-धीरे दो महीने से ज्यादा समय बीतने के बाद भी विभाग के अधिकारी इसको लेकर गंभीर नहीं है।

जिला आबकारी अधिकारी को कोर्ट के फैसले का इंतजार
कंपोजिट शराब की दुकान के अनुज्ञापी रामप्यारी के नाम वर्तमान में आबकारी निरीक्षक सिद्धार्थ विक्रम सिंह ने ही विभाग से फ्रॉड करने का मुकदमा दर्ज कराया है। अब रामप्यारी के नाम फिर से दुकान आवंटित होने के बाद दुकान पर कार्रवाई के लिए जिला आबकारी अधिकारी दिनेश सिंह को कोर्ट के फैसले का इंतजार है। इसका मतलब साफ है कि आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर ने क्या झूठा मुकदमा पंजीकृत कराया है। इस पूरे मामले में चांदी के सिक्को की खनक भी साफ सुनाई दे रहीं है।

क्या बोले आबकारी निरीक्षक
पड़रिया चौराहे पर संचालित देशी शराब की अनुज्ञापी रह चुकी रामप्यारी के नाम पर आपराधिक मुकदमा दर्ज है। अब फिर उनके नाम पर कंपोजिट दुकान आवंटित कर दी गई है, इस पूरे मामले की जानकारी है। वह अपनी जांच रिपोर्ट जिला आबकारी अधिकारी को सौंप चुके है। अब इस मामले में जिला आबकारी अधिकारी को फैसला लेना है।- सिद्धार्थ विक्रम सिंह, आबकारी इंस्पेक्टर।


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