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Agra News:इलाज के नाम पर वसूले लाखों, फिर मरीज को छोड़ा मरने को

by Morning on | 2025-07-10 17:18:29

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Agra News:इलाज के नाम पर वसूले लाखों, फिर मरीज को छोड़ा मरने को


सिंघल हॉस्पिटल पर तीमारदारों का फूटा गुस्सा

महिला की बिगड़ी हालत, बच्चों को भेजा दूसरे अस्पताल, 5 लाख की ठगी का आरोप, हॉस्पिटल में की तोड़फोड़

Morning City

आगरा थाना जगदीशपुरा क्षेत्र के आवास विकास कॉलोनी सेक्टर-4 स्थित सिंघल हॉस्पिटल में उस वक्त कोहराम मच गया जब एक महिला की डिलीवरी के बाद उसकी हालत गंभीर हो गई और परिजनों ने अस्पताल पर इलाज के नाम पर मोटी रकम ठगने का आरोप लगाते हुए तोड़फोड़ कर दी। अस्पताल की दीवारें, खिड़कियां और शीशे गुस्साए तीमारदारों के निशाने पर आ गए। स्थिति इतनी बेकाबू हो गई कि प्रशासन को पुलिस बुलानी पड़ी। जानकारी के अनुसार, 30 वर्षीय कांता की ऑपरेशन से डिलीवरी डॉक्टर योगेश सिंघल ने की थी। बताया गया कि आईवीएफ पद्धति से जन्मे जुड़वां बच्चे—एक लड़का और एक लड़की—प्री-मेच्योर थे और वजन भी सामान्य से कम था। लेकिन संकट तब गहराया जब डिलीवरी के तुरंत बाद महिला को पोस्टपार्टम हेमरेज हुआ और उसकी हालत बिगड़ गई। आनन-फानन में उसे आईसीयू में शिफ्ट किया गया, जबकि नवजातों को प्रभा हॉस्पिटल के एनआईसीयू में भेज दिया गया। जब डॉक्टरों ने परिजनों से रक्त का इंतजाम करने को कहा, तो सब्र का बांध टूट गया। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन पहले ही इलाज के नाम पर 5 लाख रुपये ऐंठ चुका था, और अब मरीज को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया। गुस्से से भरे परिजनों ने हॉस्पिटल में जमकर तोड़फोड़ की। शीशे चटकाए, एम्बुलेंस को रोका और डॉक्टरों के कक्षों में भी हंगामा किया। इससे अस्पताल के अन्य मरीजों का इलाज भी प्रभावित हुआ।

सिंघल हॉस्पिटल का बचाव: डॉ. योगेश सिंघल ने सफाई दी कि महिला का इलाज यथासंभव जारी है, और बच्चों को इसलिए रेफर किया गया क्योंकि वहां नवजातों के लिए विशेष इलाज की सुविधा मौजूद नहीं है। उन्होंने कहा, "हमने अपनी सीमाओं में रहते हुए पूरा प्रयास किया, लेकिन बच्चों का उपचार अब विशेषज्ञ अस्पताल में होना चाहिए।"

परिजनों का दर्द: महिला के पति, जो ख्वासपुरा क्षेत्र में सब्जी पर ठेल लगाने का छोटा-मोटा काम करते हैं, का कहना है कि उनकी जमा-पूंजी अस्पताल ने खत्म कर दी। उन्होंने आरोप लगाया कि “इलाज से पहले ही लाखों ले लिए गए, और अब जब जान बचाने का वक्त आया तो पल्ला झाड़ लिया।”

प्रशासनिक हस्तक्षेप: 100 नंबर पर दी गई कॉल के बाद मौके पर पहुंची जगदीशपुरा थाना पुलिस ने दोनों पक्षों को शांत कराया। फिलहाल मामला शांत है, लेकिन परिजनों की नाराज़गी और अस्पताल की जवाबदेही को लेकर कई सवाल अब भी खड़े हैं। यह मामला सिर्फ एक परिवार का नहीं, बल्कि उन सैकड़ों जरूरतमंदों का है जो निजी अस्पतालों की दया पर निर्भर हैं। लाखों रुपये खर्च कर भी अगर किसी को इलाज नहीं मिल रहा, तो यह स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं, सौदेबाज़ी है।

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