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Mainpuri News:एक अक्षर की गलती से राजवीर ने काटी 22 दिन की जेल

by morning on | 2025-07-25 15:53:51

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Mainpuri News:एक अक्षर की गलती से राजवीर ने काटी 22 दिन की जेल

फोटो परिचय-पीड़ित राजवीर सिंह व सांकेतिक तस्वीर।


- 17 साल लड़ी इंसाफ की लड़ाई, अब जाकर बरी हुए राजवीर

- लापरवाह पुलिसकर्मियो पर कार्रवाई के लिए एसपी को लिया गया पत्र

Morning City

मैनपुरी सामाजिक सुरक्षा और कानून की रक्षा के लिए स्थापित की गई पुलिस की लापरवाही कभी कभी एक निर्दाेष को जीवनभर का नासूर जख्म दे देती है। सदर कोतवाली क्षेत्र के गांव नगला भंत निवासी राजवीर को तत्कालीन इंस्पेक्टर द्वारा लिखाए गए गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे में सिर्फ एक अक्षर की गलती की कीमत 22 दिन जेल में रहकर और 17 साल तक कोर्ट में इंसाफ की लड़ाई लड़कर चुकानी पड़ी। कोर्ट ने अब राजवीर को बाइज्जत बरी किया है और इस लापरवाही के लिए दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश एसपी को दिया है।

ज्ञात हो कि कोतवाली सदर क्षेत्र के पूर्व में इंस्पेक्टर रह चुके ओमप्रकाश ने 31 अगस्त 2008 को कोतवाली क्षेत्र के गांव नगला भंत निवासी मनोज यादव, प्रवेश यादव, भोला और राजवीर के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट का मुकदमा दर्ज कराया था। मुकदमे की विवेचना दन्नाहार थाना पुलिस को दी गई थी। विवेचक उस समय थाने में तैनात रहे उपनिरीक्षक शिवसागर दीक्षित ने एक दिसंबर 2008 को गैंगस्टर एक्ट में राजवीर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उसके खिलाफ तीन मुकदमों का आपराधिक इतिहास भी दर्शाया गया। जबकि असल में ये मुकदमे राजवीर के भाई रामवीर पुत्र मोहर सिंह निवासी नगला भंत व उसके गांव के मनोज, प्रवेश और भोला के खिलाफ दर्ज थे।

कोर्ट में भी पीड़ित ने दिया था प्रार्थना पत्र
राजवीर ने अधिवक्ता के माध्यम से उस वक्त मैनपुरी के गैंगस्टर मुकदमों की सुनवाई के लिए आगरा में लगने वाली कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया, जिसमें उल्लेख किया कि पुलिस ने उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट का गलत मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया है। तीन अन्य मुकदमों का इतिहास दर्शाया है। जबकि उसके खिलाफ ऐसा कोई मुकदमा नहीं है। आगरा कोर्ट ने शहर कोतवाली इंस्पेक्टर ओमप्रकाश, विवेचक शिवसागर दीक्षित को तलब किया।

इंस्पेक्टर ने कोर्ट में स्वीकार किया नाम गलत दर्ज हुआ
तब इंस्पेक्टर ओमप्रकाश ने भी कोर्ट में स्वीकार किया कि राजवीर का नाम मुकदमे में गलत दर्ज हो गया है। आपराधिक इतिहास उसके भाई रामवीर के खिलाफ है। कोर्ट ने इस आधार पर राजवीर को जेल से 20 हजार रुपये के निजी मुचलके पर रिहाई के आदेश दिए। मगर, पुलिस ने फिर लापरवाही की और विवेचक ने राजवीर का नाम हटाकर उसके भाई रामवीर का नाम जोड़ने के बजाए प्रवेश, भोला, मनोज सहित राजवीर के खिलाफ ही चार्जशीट कोर्ट में भेज दी। 2012 में मुकदमा ट्रायल पर आया। मैनपुरी में गैंगस्टर कोर्ट की स्थापना होने पर यहां ट्रायल चला। राजवीर के अधिवक्ता विनोद कुमार यादव ने बताया कि अब 17 साल बाद एडीजे विशेष गैंगस्टर एक्ट स्वप्नदीप सिंघल ने साक्ष्यों के आधार पर राजवीर को 17 साल बाद मुकदमे से बरी कर दिया है।

डीएम-एसपी ने भी नहीं किया ठीक से अपना काम
22 दिन जेल में काटने और 17 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे से बरी हुए राजवीर की केस फाइल के विश्लेषण में कोर्ट ने कई खामी पाई हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि पुलिस की लापरवाही रही, अधिकारियों ने भी अनदेखी की। गलती पकड़ में आने के बाद कोर्ट के आदेशों का भी पालन नहीं किया गया। राजवीर की ओर से मुकदमा लड़ने वाले अधिवक्ता विनोद कुमार यादव ने बताया कि बरी आदेश में उल्लेख किया गया है कि न्यायालय द्वारा किए गए विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि राजवीर पुत्र मोहर सिंह के विरुद्ध गैंग चार्ट में जो मुकदमे दर्ज किए गए थे, वे वास्तव में राजवीर पुत्र मोहर सिंह के विरुद्ध पंजीकृत न होकर रामवीर पुत्र मोहर सिंह के विरुद्ध पंजीकृत थे। तब कोतवाली के इंस्पेक्टर रहे ओमप्रकाश की घोर लापरवाही के कारण रामवीर के स्थान पर राजवीर का नाम गैंग चार्ट में अंकित हो गया। न्यायालय ने यह भी पाया कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी ने भी गैंग चार्ट का अनुमोदन बिना संबंधित प्रपत्रों का अवलोकन किए ही यांत्रिक रूप से कर दिया, जिससे एक निर्दाेष व्यक्ति को 22 दिन जेल में रहना पड़ा और लगभग 17 वर्षों से उक्त मामले में निर्धारित तिथियों पर न्यायालय में उपस्थित होना पड़ा है, जो कि अत्यंत आपत्तिजनक है।

दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश
न्यायालय ने इस मामले में पुलिस की लगातार लापरवाही पर असंतोष व्यक्त किया है। आदेश में लिखा है, 18 जनवरी 2021 को भी पूर्व अधिकारी ने 5 नवंबर 2019 के आदेश के पालन के लिए एसपी को कार्रवाई करने और न्यायालय को अवगत कराने का आदेश दिया था, लेकिन इसका पालन नहीं किया गया। अब न्यायालय ने आदेश दिया है कि गलत प्रकार से चार्जशीट भेजने के दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई हो। पूर्व में कोर्ट ने तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक कोतवाली ओमप्रकाश, तत्कालीन थानाध्यक्ष दन्नाहार संजीव कुमार, एसआई राधेश्याम सहित अन्य दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही के लिए डीजीपी उत्तर प्रदेश को आदेश दिया था। अब पुलिस अधीक्षक, मैनपुरी राजवीर के प्रार्थना पत्र के आधार पर अपने स्तर से दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई करेंगे और कोर्ट को अवगत कराएंगे।


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