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Agra News:फर्जी डिग्री और सरकारी टेंडर घोटाले में ओपी चेन्स के शोभिक गोयल पर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी

by Morning on | 2025-08-13 17:42:20

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Agra News:फर्जी डिग्री और सरकारी टेंडर घोटाले में ओपी चेन्स के शोभिक गोयल पर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी


फर्जी डिग्री और सरकारी टेंडर घोटाले में ओपी चेन्स के शोभिक गोयल पर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी

Morning City

आगरा फर्जी शैक्षिक दस्तावेज़ तैयार कर विश्वविद्यालय की डिग्री हासिल करने और उनके सहारे करोड़ों रुपये के सरकारी टेंडर लेने के गंभीर आरोप में ओपी चेन्स के शोभिक गोयल पर कार्रवाई की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। वादी मोहित उपाध्याय ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, आगरा की अदालत में धारा 173(3) बीएनएसएस के तहत प्रार्थना पत्र दाखिल कर आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने और पुलिस विवेचना कराने की मांग की है। प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि शोभिक गोयल ने वर्ष 2004 में सीबीएसई बोर्ड से हाईस्कूल और 2006 में इंटरमीडिएट की परीक्षा दी, लेकिन दोनों में असफल रहा। इसके बाद उसने कथित तौर पर फर्जी अंकतालिकाएं तैयार कर डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा में बी.कॉम में प्रवेश लिया और वर्ष 2009 में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। यहीं नहीं, उसी आधार पर वर्ष 2011 में उसने एम.कॉम की डिग्री भी हासिल कर ली। आरोप है कि इन जाली डिग्रियों का इस्तेमाल कर उसने सरकारी संस्थानों को गुमराह किया और कई टेंडरों में खुद को पोस्ट ग्रेजुएट बताते हुए झूठे हलफनामे दिए। यही नहीं, टेंडर की पात्रता के लिए आवश्यक चरित्र प्रमाण पत्र भी उसने इसी गलत जानकारी के आधार पर बनवाए और इस तरह प्रदेश सरकार के कई सौ करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट हासिल किए। वादी का कहना है कि 9 मई 2025 को पंजीकृत डाक से पुलिस आयुक्त, कमिश्नरेट आगरा को तहरीर भेजकर कार्रवाई की मांग की गई थी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। पुलिस की ओर से शिकायत पर कोई सुनवाई न होने पर न्यायालय का सहारा लिया गया है। प्रार्थना पत्र में यह भी कहा गया है कि इस तरह के साक्ष्य और दस्तावेज़ आम नागरिक के लिए जुटाना संभव नहीं है, इसलिए पुलिस या सक्षम सरकारी अधिकारी द्वारा विवेचना आवश्यक है। वादी ने स्पष्ट किया है कि आरोपी का कृत्य भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 318(2) (कूटरचना), 336(3) (धोखाधड़ी) और 340(2) (झूठा प्रमाण पत्र) के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब अदालत के आदेश के बाद पुलिस की कार्रवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं, क्योंकि यदि आरोप सही साबित होते हैं तो यह न केवल सरकारी तंत्र को गुमराह करने बल्कि करोड़ों रुपये के सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का बड़ा मामला साबित होगा।

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