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मैनपुरी-आलीपुर खेड़ा में किया गया सरकारी धन का दुरुपयोग

by morning on | 2025-04-25 16:12:44

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मैनपुरी-आलीपुर खेड़ा में किया गया सरकारी धन का दुरुपयोग

Morning City

मैनपुरी। सुल्तानगंज विकास खंड क्षेत्र की ग्राम पंचायत आलीपुर खेड़ा में ग्राम प्रधान द्वारा किए गए वित्तीय घोटाले और फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर लाभ उठाने की घटनाओं की सीबीआई से निष्पक्ष जांच कराने के लिए ग्राम पंचायत देवेंद्र कुमार द्वारा शिकायत की गई है।

सीबीआई महा निदेशक से की गई शिकायत में देवेंद्र ने कहा है कि ग्राम प्रधान संतप्रकाश ने केन्द्र व राज्य सरकार से प्राप्त विकास योजनाओं की धनराशि का दुरुपयोग करते हुए अपने परिवार व निजी सहयोगियों के बैंक खातों करोंड़ो रुपए ट्रांसफर किए है। इसके अलावा नियमों को ताक में रखकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर व्यवसायिक लाभ भी उठाया गया है।

ग्राम प्रधान पर यह आरोप लगाएं गए

1- खेल मैदान निर्माण में 10 लाख रुपए का गबन।

2- पुस्तकालय और नाट्यशाला के नाम पर 30 लाख रुपए का दुरुपयोग।

3- पंचायत भवन में सीसीटीवी लगाने के नाम पर 11 लाख रुपए की गड़बड़ी।

4- सीएससी निर्माण में 8 लाख रुपए की अनियमितता।

5- इन्वर्टर, कंप्यूटर, साइनबोर्ड, लाउडस्पीकर, शौचालय आदि में 8 लाख रुपए से अधिक की गड़बड़ी।

6- मार्च 2025 में बिजली बिल के नाम पर 6,70,000 रुपए की अवैध निकासी।

7- ग्राम प्रधान के रिश्तेदारों व इंडेन गैस एजेंसी के ऑपरेटर प्रशांत कुमार के खातों में सरकारी राशि का हस्तांतरण।

8- ग्राम प्रधान द्वारा अपनी पत्नी के नाम पर एक इंडेन गैस एजेंसी प्राप्त की गई है, जिसमें 40 प्रतिशत दिव्यांगता दर्शाते हुए फर्जी प्रमाणपत्र का उपयोग किया गया, जबकि हकीकत में उनकी दिव्यांगता 20 प्रतिशत से भी कम है। यह एक स्पष्ट धोखाधड़ी है, जिसमें आरक्षण का गलत लाभ लिया गया।

सभी मामलो में स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत

देवेंद्र ने शिकायत में यह भी आरोप लगाए है कि ग्राम प्रधान ने जो भी घोटाले किए है उनमें स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत है। इसी कारण से आधा सैंकड़ा से अधिक शिकायत के बाद भी ग्राम प्रधान पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, उन्होने इस पूरे प्रकरण की सीबीआई से निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है।

बैंक ट्रांजेक्शन की जांच व कार्रवाई की भी मांग

इसके साथ ही देवेंद्र ने कहा है कि जिन बैंक खातों में सरकारी धन ट्रांसफर किया गया, उनकी बैंक ट्रांजेक्शन डिटेल्स की जांच होनी चाहिए, फर्जी दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनवाने में शामिल मेडिकल बोर्ड/कर्मचारी और इसका उपयोग करने वालों पर आपराधिक कार्रवाई हो। संबंधित सभी विकास कार्यों का तकनीकी व वित्तीय ऑडिट केंद्रीय एजेंसियों द्वारा कराया जाए। जिन अधिकारियों की इस घोटाले में भूमिका रही, उनके विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक व दंडात्मक कार्यवाही की जाए।

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