सब्सक्राइब करें
शहर और राज्य सामाजिक

Agra News:परंपरा मेरा टेसू यही खड़ा खाने को मांगे दही बड़ा

by morning on | 2025-10-03 16:37:55

Share: Facebook | Twitter | Whatsapp | Linkedin Visits: 235


Agra News:परंपरा  मेरा टेसू यही खड़ा खाने को मांगे दही बड़ा



दशहरा से कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है टेसू झांझी उत्सव अब विलुप्त हो रही है परंपरा

कस्बा में सज गए टेसू झांझी की दुकान बच्चे खरीदारी करते देखे गए

Morning City

फतेहाबाद /आगरा: 2 अक्टूबर मेरा टेसू यही अड़ा खाने को मांगे दही बड़ा खान बहुतेरा खाने को मुंह टेडा सदियों पुरानी बचपन की यादों में सुमार टेसू झाझी उत्सव की है पंक्तियां अब विलुप्त होने लगी है दशहरा से कार्तिक पूर्णिमा तक चलने वाले इस उत्सव से आज की नई पीढ़ी के बच्चे  अन्जान है महाभारत कालीन टेसू और झाझी का यह उल्लास हमारे ब्रिज क्षेत्र से लेकर बुंदेलखंड तक में खासा लोकप्रिय है एक समय हुआ करता था कस्बा से लेकर ग्रामीण क्षेत्र की गलियों में छोटे-छोटे बच्चे और बच्चियां टेसू और झाझी लेकर घर-घर निकलते थे और लोकगीत गाकर नेग मांगते थे यही नहीं हर साल एक परिवार टेसू की तरफ से बाराती हुआ करता था दूसरा पक्ष झांझी की तरफ से घरआती शरद पूर्णिमा के दिन बड़े-स्तर पर टेसू झाझी विवाह के आयोजन किए जाते थे यही नहीं ढोल नगाड़ों के साथ शोभा यात्राएं भी निकल जाती थी वहीं दशहरा पर रावण दहन के साथ-ही बच्चे झाझी लेकर घर-घर टेसू के लोकगीतों के साथ नेग मांगते वहीं लड़कियों की टोली घर के आसपास झाझी के साथ नेग मांगने निकलती थी शाम होते ही कस्बा और गांव की बस्तियों में हाथों में लिए टेसू  और झाझी और लोकगीतों से  गुंजने लगते थे लोग बच्चों को निराश नहीं करते थे बच्चों को बढ़ चढ़कर नेगं देते थे लेकिन आज के बदले परिवेश में नई पीढ़ी के बच्चे इस सदियों पुरानी परंपरा से अनजान है इसी का परिणाम है कि हमारे ब्रिज क्षेत्र में चली आ रही महाभारत कालीन परंपरा को मनाने की खानापूर्ति की जाती है  

कथा   अधूरी रह गई बर्बरी झाझी की प्रेम कहानी
एक लोक कथा के अनुसार भीम के नाती बर्बरी टेसू के महाभारत के युद्ध में .आते समय झाझी से प्रेम हो गया था बर्बरीक ने युद्ध से लौट कर झाझी से विवाह करने का वचन दिया उन्होंने अपनी मां को वचन दिया था कि बे  हांरने  वाले पक्ष की तरफ से युद्ध करेंगे और बे कौरवों की ओर आ गए  श्री कृष्णा ने सुदर्शन चक्र से उनका सिर काट दिया वरदान के चलते सिर काटने के बाद भी वह जीवित रहे युद्ध के बाद मां ने विवाह के लिए माना कर दिया इस पर बर्बरीक ने जल समाधि लेली झाझी इस नदी किनारे इंतजार करती रही लेकिन वह लौटकर नहीं आए और बर्बरीक और  झाझी की प्रेम कहानी अधूरी रह गई

गांव की चौपाल पर होते थे लोकगीतों के आयोजन
एक समय ऐसा भी था शाम होते ही गांव मैं बड़े बूढ़े चौपाल लगाकर बैठ जाते थे और बच्चों बच्चियों की टोलीया आती थी उन्हें बुलाकर बच्चों से लोकगीत सुनते थे और सभी बच्चों नेगा देते थे यह नजारा गांव की हर  चौपाल पर देखने को मिलता था लेकिन अब गांव में लगने वाली चौपाल भी नजर नहीं आती है

कस्बा में सजी टेसू और झाझी की दुकान है
आज गुरुवार को दशहरा पूजन के साथ कार्तिक पूर्णिमा तक  चलने बाला यह उत्सव आज से प्रारंभ हो गया बच्चे टेसू  और झाझी की खरीदारी करते देखे गए वही इस बार मिट्टी से बने टेसू झाझी पर महंगाई की मार देखी गई 30 रुपया से लेकर₹100 तक टेसू और झाझी बेचे जा रहे हैं

खोज
ताज़ा समाचार
टॉप ट्रेंडिंग
सबसे लोकप्रिय

Leave a Comment